2 Line Shayari

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2 Line Shayari in Hindi

वो एक रात जला तो उसे चिराग कह दिया,
हम बरसों से जल रहे हैं कोई तो खिताब दो..!!

गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे,
ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए..!!

दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गई,
हम ऐतबार करके गुनाहगार हो गए..!!

अगर बिकने पे आ जाओ तो घट जाते हैं दाम अक्सर,
न बिकने का इरादा हो तो क़ीमत और बढ़ती है..!!

दिल से दिल मिले या न मिले हाथ मिलाओ,
हमको ये सलीका भी बड़ी देर से आया..!!

दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में,
लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं..!!

पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं..!!

एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का,
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का..!!

न जाने किस हुनर को शायरी कहते हो तुम,
हम तो वो लिखते हैं जो तुमसे कह नहीं पाते..!!

जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम,
जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया..!!

मैं एक शाम जो रोशन दीया उठा लाया,
तमाम शहर कहीं से हवा उठा लाया..!!

हाल जब भी पूछो खैरियत बताते हो,
लगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने..!!

तेरी खामोशी अगर तेरी मज़बूरी है,
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है..!!

अहमियत यहाँ हैसियत को मिलती है,
हम है कि अपने जज्बात लिए फिरते हैं..!!

फासले इस कदर हैं आजकल रिश्तों में,
जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में..!!

समझ पाता हूँ देर से मैं दांव पेंच उसके,
वो बाजी जीत जाता है मेरे चालाक होने तक..!!

तुम राह में चुप चाप खड़े हो तो गए हो,
किस किस को बताओगे घर क्यों नहीं जाते..!!

रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में,
मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ..!!

कुछ इस तरह खूबसूरत रिश्ते टूट जाया करते हैं,
दिल भर जाता है तो लोग रूठ जाया करते हैं..!!

मिलने को तो हर शख्स एहतराम से मिला,
पर जो मिला किसी न किसी काम से मिला..!!

किसी ने तो दे रखा होगा उनको भी मक़ाम,
वर्ना ये बेघर लोग यूँ मुस्कुराते न फिरते..!!

शायद कोई तराश कर मेरी किस्मत संवार दे,
यह सोच कर हम उम्र भर पत्थर बने रहे..!!

मुहब्बत बुरी है बुरी है मुहब्बत,
कहे जा रहे हैं, किये जा रहे हैं..!!

नज़र नमाज़ नज़रिया सब कुछ बदल गया,
इक रोज़ मुझे इश्क़ हुआ और मेरा खुदा बदल गया..!!

वो इस अंदाज़ में मुझसे मोहब्बत चाहती है,
मेरे ख्वाब में भी अपनी हुकूमत चाहती है..!!

राह तकते जब थक गई आंखे,
फिर तुझे ढूंढने मेरी आंख के आसूं निकले..!!

छूटे हुए हाथों का छूटना अब और नही अखरता,
पड़ चुका है अब फ़र्क इतना कि अब फ़र्क नही पड़ता..!!

दिल की तकलीफ़ कम नही करते,
अब कोई शिकवा हम नही करते..!!

ज़मीन पर मेरा नाम वो लिखते और मिटाते हैं,
वक्त उनका तो गुज़र जाता है मिट्टी में हम मिल जाते हैं..!!

वो अदा करे तो शुक्र उसका न दे तो मलाल नही,
मेरे रब के फैसले कमाल के हैं उन फैसलों पर सवाल नही..!!

रहे न कुछ मलाल बड़ी शिद्दत से कीजिए,
नफ़रत भी कीजिए ज़रा मुहब्बत से कीजिए..!!

आसमां इतनी बुलंदी पे जो इतराता है,
भूल जाता है जमीं से ही नज़र आता है..!!

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