Zakir Khan Shayari

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Zakir Khan Shayari in Hindi

मेरी जमीन तुमसे गहरी रही है,
वक़्त आने दो, आसमान भी तुमसे ऊंचा रहेगा..!!

तुम भी कमाल करते हों,
उम्मीदें इंसान से लगा कर,
शिकवे भगवान से करते हो..!!

यूँ तोह भूले हैं हम लोग कई पहले भी बहुत से,
पर तुम जितना कोई उनमें से कभी याद नहीं आया..!!

मेरे कुछ सवाल है जो सिर्फ क़यामत के रोज पूछूँगा तुमसे,
क्युकी उसके पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके,
इस लायक नहीं हो तुम..!!

मैं वक़्त और तुम क़यामत. देखना,
जब हम मिलेंगे तो इस कायनात में सब कुछ रुक जायेगा..!!

जितना तेज़ाब मिला दुनिया से, उसी की शराब बेचता हूँ,
ज़िल्लतें छतों पर टांग, अस्मा को खाब बेचता हूँ..!!

मोह्हबत करो बहोत,
लेकिन खुद के इज़्ज़त के साथ करो..!!

रास्ते भी खुद है ढूँढे, और मंज़िल भी खुद बनायीं,
आप उसे किताबों में डालकर मुश्किल न कीजिये..!!

तेरी शर्तः पे ही करना है अगर तुझ को क़ुबूल,
ये सहूलत तो मुझे सारा जहाँ देता है..!!

हम से पूछो न दोस्ती का सिला,
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा..!!

मित्रता कभी दर्पण से अधिक समय तक नहीं रहती है,
इस तरह की ईमानदारी भी रिश्तों के लिए ठीक नहीं है..!!

तेरी बेवफ़ाई के अंगारों में लिपटी रही यह रूह मेरी,
मैं इस तरह आग न होता, जो होजाती तू मेरी..!!

बहुत मासूम लड़की है इश्क़ की बात नहीं समझती न जाने,
किस दिन में खोयी रहती, मेरी रात नहीं समझती..!!

मेरी जमीन तुमसे गहरी रही है,
वक़्त आने दो, आसमान भी तुमसे ऊंचा रहेगा..!!

मेरी औकात मेरे सपनों से इतनी बार हारी हैं के,
अब उसने बीच में बोलना ही बंद कर दिया है..!!

अब कोई हक़ से हाथ पकड़कर महफ़िल में दोबारा नहीं बैठाता,
सितारों के बीच से सूरज बनने के कुछ अपने ही नुकसान हुआ करते है..!!

वो तितली की तरह आयी और ज़िन्दगी को बाग कर गयी,
मेरे जितने भी नापाक थे इरादे, उन्हें भी पाक कर गयी..!!

अपने आप के भी पीछे खड़ा हूँ में,
ज़िन्दगी कितने धीरे चला हूँ मैं,
और मुझे जगाने जो और भी हसीं होकर आते थे,
उन् ख़्वाबों को सच समझकर सोया रहा हूँ मैं..!!

हर एक दस्तूर से बेवफाई मैंने शिद्दत से हैं निभाई,
रास्ते भी खुद हैं ढूंढे और मंजिल भी खुद बनाई..!!

कामयाबी तेरे लिए हमने खुद को कुछ यूं तैयार कर लिया,
मैंने हर जज़्बात बाजार में रख कर एश्तेहार कर लिया..!!

तेरी वेवफाई की अंगारो में लिपटी हुयी है रूह मेरी ,
मैं इस तरह आग न होता जो तुम हो जाती मेरी,
हरेक सांस पे दहक जाता था सोला दिल का,
सायद हवा में फैली है खुशबु तेरी..!!

अपने आप के भी पीछे खड़ा हु मैं,
ज़िंदगी कितना धीरे चला आ रहा है,
मुझे जगाने जो और भी हसीं होके आते थे,
उन खवाबो को सच समझकर सोया मैंने..!!

क्या अपनी छोटी अंगुली से उसका,
हाथ भी थाम लिया करती हो,
क्या वैसे ही जैसा मेरा थामा करती थी..!!

हम से पूछो न दोस्ती का सिला,
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा..!!

हम से पूछो न दोस्ती का सिला,
दुश्मनों का भी दिल हिला देगा..!!

यूं तो भूले हैं हमें लोग कई, पहले भी बहुत से,
पर तुम जितना कोई उन्मे सें, कभी याद नहीं आया..!!

हर एक दस्तूर से बेवफाई, मैं शिद्दत से है निभाई,
रास्ते भी खुद है ढूँढे, और मंज़िल भी खुद बनायीं..!!

जब कभी याद आया करे तुमको तो मेरी लिखी कविताएं पढ़ लेना,
बस एक वही तो जगह है, जहाँ झूठ नहीं बोले है मैंने कभी..!!

तुमसे बड़ी नाराजगी है मुझे अब देखो ना,
तुम्हारे नर्म होठो की मिसाल नहीं मिली और मेरे असर अधूरे रह जाते हैं..!!

इश्क़ को मासूम रहने दो नोटबुक के आख़री पन्ने पर,
आप उसे किताबों म डाल कर मुस्किल ना कीजिए..!!

ये तो परिंदों की मासूमियत है,
वरना दूसरों के घर अब आता जाता कौन हैं..!!

मोहब्बत करो बहोत,
लेकिन खुद के इज्जत के साथ करो..!!

वो रिश्ता मेरे लिए 2 के पहाड़े जैसा,
पर उसे लिए 19 का टेबल हो गया है,
मुझसे भूला नहीं जाता, उसे याद दिलाना पड़ता है..!!

मेरी औकात मेरे सपनों से इतनी बार हारी हैं के,
अब उसने बीच में बोलना ही बंद कर दिया है..!!

ज़मीन पर आ गिरे जब आसमां से ख़्वाब मेरे,
ज़मीन ने पूछा क्या बनने की कोशिश कर रहे थे..!!

हर एक दस्तूर से बेवफाई मैंने शिद्दत से हैं निभाई,
रास्ते भी खुद हैं ढूंढे और मंजिल भी खुद बनाई..!!

एक अरसे से हूं थामे कस्ती को भवार,
तूफान से भी ज्यादा साहिल से सिहरता हु..!!

जरूरी नहीं कि हर मेहनत कामयाबी ले आए,
कुछ कोशिशें तैयारी के लिए भी होती है..!!

अब वो आग नहीं रही ना शोलो सा देहेक्ता हूं,
रंग भी सबके जैसे है और सब के जैसा है महकता है..!!

वो रिस्ता मेरे लिए दो का पहारा है,
उसके लिए सेवेनटीन का टेबल हो गया,
उससे याद दिलाना पड़ता मुझसे भुला नहीं जाता..!!

तेरा बेवफा होना मेरे रब को भा गया,
तूने मुझे छोड़ा देख मैं कहाँ आ गया..!!

मेरे इश्क़ से मिली है तेरे हुस्न को ये शोहरत,
तेरा ज़िक्र ही कहां था , मेरी दास्तान से पहले..!!

लूट रहे थे खजाने मां बाप की छाव मे,
हम कुड़ियों के खातिर, घर छोड़ के आ गए..!!

खुदा के वास्ते उसे कभी टोकना मत,
उसकी आज़ादी से उसे कभी रोक न देना,
क्यकि अब मैं नहीं तुम उसके दिलदार हो तो सुन लो,
उसे अच्छा नहीं लगता..!!

बस का इन्तज़ार करते हुए मेट्रो में खड़े खड़े,
रिक्शा में बैठे हुए गहरे शून्य में क्या देखते हो,
गुम सा चेहरा लिए हुए क्या सोचते रहते हो..!!

मैं जाउ इस दुनिया से तोँ दास्तान सुनाना,
ये भी बताना की समंदर जितने से पहले,
कैसे मैं छोटी छोटी नदियों से हारा था..!!

गर यकीन ना हों तो बिछड़ कर देख लो,
तुम मिलोगे सबसे मगर हमारी ही तलाश में..!!

भूख देखी है देखि है तिरस्कार करती आँखे,
कदमो से चल चल के रास्तो को नाम बदलते देखा है..!!

देखि है न उम्मीदी अपमान देखा है,
न चाहते हुए भी माँ बाप का झुकता,
आत्म सम्मान देखा है सपनो को टूटते,
देखा है अपनों को छूटते देखा है..!!

मेरे दो चार खुवाब है जिन्हे मैं आसमा से दूर चाहता हु,
ज़िंदगी चाहे गुमनाम रहे, लेकिन मौत मैं मशहूर चाहता हु..!!

मेरा सब बुरा भी कहना अच्छा भी सब बताना,
जाउ जब इस दुनिया से मेरा दास्तान सुनाना..!!

बता देना सबको की मैं मतलबी बहुत बड़ा था,
बड़ी मुकाम पे मैं तनहा खड़ा था..!!

मझे गुड नाइट कहने के वाद भी ऑनलाइन रहना तेरा,
समझा लेता हु खुद को मगर इधर चुभता बहुत है..!!

तेरी फुर्सत के इंतज़ार में रहता हु,
मैं प्रदेश में रहकर भी प्यार में रहता है,
और बस एक तेरी मर्जी से बदलेगी किस्मत मेरी,
वर्णा मैं जीतकर भी हार में रहता हु..!!

हालत की बंजर ज़मी फार कर निकला हु,
बेफिकर रहिये मैं सोहरत के धुप में नही जलूँगा..!!

क्या वो आग नहीं रही न सोलो से दहकता हु,
रंग भी सब जैसा है सब जैसा ही तो महकता हु..!!

ए बड़े शहर तेरा बहुत कर्जा है मुझपर,
सब चुकाऊंगा बारी बारी से..!!

गर यकीन ना हों तो बिछड़ कर देख लो,
तुम मिलोगे सबसे मगर हमारी ही तलाश में..!!

यु तो भले हैं लोग हमे पहले भी बहुत से,
पर तुम जितना उनमे से कोई याद नहीं आता..!!

जानते हो अगर वो हजार वार जुल्फे,
न सवारे तो उसका गुजारा नहीं होता,
ऐसे दिल बहुत साफ़ है उनका,
इन हरकतों पे गुजारा नहीं होता..!!

हर एक सांस से दहक जाता है सोला दिल का,
सायद ये हवा में फैली है खुशबु तेरी..!!

बे वजह बेवफाओं को याद किया है,
ग़लत लोगों पे बहुत वक़्त बर्बाद किया है..!!

लो खरीद लो अब इससे कीमती कुछ भी नहीं है मेरे पास,
की जिसमे रखा था गुलाब, हमने वो किताब बेच दिया है..!!

बड़े महंगे थे पर अब सस्ते में नहीं आएंगे,
आज के बाद तेरे रस्ते में नहीं आएंगे..!!

लहू के थे जो रिश्ते उन्हें छोड़के आ गए,
सुकु आँखों के सामने था मुँह मोड़ के आ गए,
और खजाने लूट रहे थे माँ बाप की छाँव में,
हम कौड़ियों के खातिर घर छोड़ के आये..!!

माना की तुमको इश्क़ का तजुर्बा भी कम नहीं,
हमने भी बाग़ में हैं कई तितलियाँ उड़ाई..!!

ये खत है उस गुलदान के नाम,
जिसका फूल कभी हमारा था,
ये अब तुम उसके मुख्तार हो तो सुन लो,
उसे अच्छा नहीं लगता..!!

यु तो भूले हैं हमे लोग कई हमे पहले भी बहुत से,
पर तुम जितना उनमे से कभी कोई याद नहीं या..!!

हज़ारो खुआइसे ऐसी की कर खुवाईसे में दम निकले,
बहुत निकल गए अरमान फिर भी कम निकले..!!

वेबजह वेबफ़ाओ को याद किया है,
गलत लोगो पर बहुत वक़्त बर्वाद किया है..!!

अब वो आग नहीं रही, न शोलो जैसा दहकता हूँ,
रंग भी सब के जैसा है, सबसे ही तो महेकता हूँ,
एक आरसे से हूँ थामे कश्ती को भवर में,
तूफ़ान से भी ज्यादा साहिल से डरता हूँ..!!

मेरी अपनी और उसकी आरज़ू में फर्क ये था,
मुझे बस वो और उसे सारा जमाना चाहिए था..!!

इश्क़ किया था, हक से किया था,
सिंगल भी रहेंगे तो हक से..!!

जिंदगी से कुछ ज्यादा नहीं, बस इतनी सी फर्माइश है,
अब तस्वीर से नहीं, तफसील से मिलने की ख्वाइश है..!!

ये तो परिंदों की मासूमियत है,
वरना दूसरों के घर अब आता जाता कौन हैं..!!

तुम भी कमाल करते हों,
उम्मीदें इंसान से लगा कर,
शिकवे भगवान से करते हो..!!

मैं वक़्त और तुम क़यामत. देखना,
जब हम मिलेंगे तोह इस कायनात में सब कुछ रुक जायेगा..!!

दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं,
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं..!!

दिल तो रोता रहे ओर आँख से आँसू न बहे,
इश्क़ की ऐसी रिवायात ने दिल तोड़ दिया..!!

अब वह आग नहीं रही, न शोलों जैसा देहेकता हूँ,
रंग भी सब के जैसा है, सबसे ही तो महेकता हूँ..!!

एक अर्से से हूँ थामे, कश्ती को भंवर में,
तूफ़ान से भी ज्यादा, साहिल से सिहरता हूँ..!!

बड़ी कश्मकश में है ये जिंदगी की,
तेरा मिलना मिलना इश्क़ था या फरेब..!!

दिलों की बात करता है ज़माना,
पर आज भी मोहब्बत चेहरे से ही शुरू होती हैं..!!

बे वजह बेवफाओं को याद किया है,
ग़लत लोगों पे बहुत वक़्त बर्बाद किया है..!!

माना कि तुम को भी इश्क़ का तजुर्बा काम नहीं,
हमनें भी तो बगों में हैं कई तितलियां उड़ाई..!!

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