Kumar Vishwas Shayari

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Dr Kumar Vishwas Shayari in Hindi

जब कमरे में सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है,
जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती है..!!

पनाहों में जो आया हो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर से अधिकार क्या करना,
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहरायी तो दरिया पार क्या करना..!!

मेरे जीने मरने में तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी तो घनश्याम आएगा..!!

कहीं पर जग लिए तुम बिन कहीं पर सो लिए तुम बिन,
भरी महफिल में भी अक्सर अकेले हो लिए तुम बिन,
ये पिछले चंद वर्षों की कमाई साथ है अपने कभी तो,
हंस लिए तुम बिन कभी तो रो लिए तुम बिन..!!

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,
मैं तुझसे दूर कैसा हूं तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है..!!

मेरा जो भी तर्जुबा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं,
कोई लब छु गया था तब की अब तक गा रहा हूँ मैं,
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाये बिना तडपे,
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..!!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है..!!

अमावस की काली रातों में जब दिल का दरवाजा खुलता है,
जब दर्द की प्याली रातों में गम आंसूं के संग होते हैं,
जब पिछवाड़े के कमरे में हम निपट अकेले होते हैं..!!

जब उंच नीच समझाने में माथे की नस दुःख जाती हैं ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी लगता है..!!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है..!!

मेरे जीने मरने में तुम्हारा नाम आएगा,
मैं सांस रोक लू फिर भी यही इलज़ाम आएगा,
हर एक धड़कन में जब तुम हो तो फिर अपराध क्या मेरा,
अगर राधा पुकारेंगी तो घनश्याम आएगा..!!

मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है,
भरी महफ़िल में भी रुसवा हर बार करती है,
यकीं है सारी दुनिया को खफा है हमसे वो लेकिन,
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करती है..!!

हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है,
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है..!!

पनाहो मै जो आए हो उस पार वार क्या करना,
जो दिल हारा हुया हो उस पै फिरसे आधिकार कया करना,
मोहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश मै हैं,
जाब हो मालूम गेहराई तो दरिया पार क्या करना..!!

वो पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए भूखी रहती है,
छुप एल छुप सारे व्रत करती है पर मुझसे कभी ना कहती है..!!

कोई कब तक महज सोचे कोई कब तक महज गाए,
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ,
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले,
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ..!!

सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा,
तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,
भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना मर जाऊँगा..!!

बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता है,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है..!!

जब साड़ी पहने एक लड़की का एक फोटो लाया जाता है ,
जब भाभी हमें मनाती हैं फोटो दिखलाया जाता है..!!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा,
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा,
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का,
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा..!!

जब बासी फीकी धुप समेटें दिन जल्दी ढल जाता है,
जब सूरज का लश्कर छत से गलियों में देर से जाता है..!!

कोई खामोश है इतना बहाने भूल आया हूँ,
किसी की इक तरनुम में तराने भूल आया हूँ,
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो,
मैं इक चिड़िया की आँखों में उड़ाने भूल आया हूँ..!!

हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है,
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है,
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का,
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है..!!

ना पाने की खुशी है कुछ ना खोने का ही कुछ गम है,
ये दौलत और शोहरत सिर्फ कुछ ज़ख्मों का मरहम है,
अजब सी कशमकश है रोज़ जीने रोज़ मरने में,
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है मगर पूरी से कुछ कम है..!!

जब जल्दी घर जाने की इच्छा मन ही मन घुट जाती है,
जब कॉलेज से घर लाने वाली पहली बस छुट जाती है..!!

पनाहों में जो आया हो उस पर वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर से अधिकार क्या करना,
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में है,
जो हो मालूम गहरायी तो दरिया पार क्या करना..!!

वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से,
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है..!!

जब बेमन से खाना खाने पर माँ गुस्सा हो जाती है,
जब लाख मन करने पर भी पारो पढने आ जाती है..!!

तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता..!!

मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है,
भरी महफ़िल में भी रुसवा हर बार करती है,
यकीं है सारी दुनिया को खफा है हमसे वो लेकिन,
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करती है..!!

एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है,
तेरी चुप्पी का सबब क्या है इसे हल कर दे,
ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का,
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे..!!

दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं,
उसके दिल में भैया तेरे जैसे प्यारे जज्बात नही..!!

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