Munawar Faruqui Shayari

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Munawar Faruqui Shayari in Hindi

ये धूप चुब रही है माँ,
काश तेरा साया होता..!!

फल ही इतने लगे हुए थे इस पेड़ पे,
लोगो का पत्थर मरना लाजमी था..!!

अब नहीं है हम चिरागों के मोहताज,
उसकी आँखें महफिले रोशन करती हैं,
मै किताबें फिर से अलमारी मे रख आया हूँ,
सुना है वह बा कमाल इन्सान पढ़ती है..!!

एक तरफा मोहब्बत के किस्से मुझे मत सुनाओ,
मेने उसके बाद खुद से मोहब्बत नहीं की..!!

वो ख़्वाब कंधो पे लिए चलते हैं,
वो नसीब हाथो में लिए चलते हैं..!!

बादशाहो को सिखाया गया है कलंदर होना,
आप आसान समझते है मुनावर होना..!!

नहीं कोई वाकिफ कितना दर्द लिए चलता हु,
टूटता हर सुबह जब आईना देखता हु,
झूम के चलता हु हंस के मिलता हु,
मैं रोज ऐसे कितनो को दगा देता हु..!!

मेरा खुवाब इन पहाड़ो से बड़े हैं,
तूफ़ान में कागज़ की कस्ती लिए खड़े हैं,
ये कैसे रोकेंगे आसमान से आनेवाले मेरे रिस्क को,
मैं ज़मीं पर हु और ये पर काटने चले हैं..!!

वो झूठे वादे करते है, मगर मिलने नहीं आते,
हम भी कमबख्त इश्क से बाज नहीं आते..!!

बिन बताये उसने क्यों ये दूरी कर दी,
बिछड़कर उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दी,
मेरे मुकद्दर में गम आये तो क्या हुआ,
खुदा ने उसकी खुवाईश तो पूरी कर दी..!!

एक मौका मिल ही गया मुझसे जलने वालों को,
जाते जाते उनकी जलन की राहत बन गया..!!

फिर भी जीत गया उस दर्द की महफ़िल में,
मैं ही अकेला इंसान था, जो बिना मां के पाला था..!!

आसान सा कुछ करना होता तो पहाड़ तोड़ लेते,
हम तो कमबख्त इश्क करना था..!!

मौत मुकम्बल मैं डरने वाला नहीं हु,
हक है मैं लड़ने वाला नहीं हु,
तालियों से जब मैं भर न दू स्टेडियम,
कसम खुदा की मैं मरने वाला नहीं हु..!!

वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का,
सितारों की भीड़ मे, वो चाँद मेरे हाथों में था..!!

ज़ुल्म करने वाले एक दिन ज़रुर दुबेंगे,
मेरा याकीन तो समंदर से भी गहरा है..!!

एक उमर लेके आना मैं खाली किताब ले आउंगा,
तोड़ कर लाने के वादे नहीं मैं अपनी कलम से सितारे सजाऊंगा..!!

वो ढूंढ़ रहे हैं वजाह मेरे मुस्कान की,
नादान मेरे सजदो से बेखबर है..!!

ख़्वाबों को मैंने थपकी देके सुलाया है,
और उन्हे पूरा करने खुद को कई रात जगाया है..!!

बाजारों में रौनक लोट आई है,
लगता है वो बेपर्दा बाजार आई है..!!

मेने साये लिए है खुद के,
वो मुझसे दूर नही जाते..!!

तुम जिद करके बैठे हो मेरा नाम नही लोगो,
फिर यू याद करके हिचकियां क्यू दे रहे हो..!!

मेरी कलम मेरी खुव्वत चाहे मंज़िल लिख दूं,
मेरी हुकूमत में, लहरों पे समंदर लिख दू,
दम इतना मे मस्त रहता खुद ही मे,
खुद की ही पेशानी पे कलंदर लिख दू..!!

सुनो तुम ख्वाब देखो,
में पूरा करके आता हूं..!!

झूलम करने वाले एक दिन जरूर डूबेंगे,
मेरा यकीन समंदर से भी गहरा है..!!

जल रहे है वो मुझे खुश देख कर,
कोई उन्हें मेरा दुख बता कर खुश करदो ..!!

वो मुझे दूर करने की ज़िद लिए बैठा है,
साथ चलना नहीं है मंजिल का वादा कर बैठा है,
मुझे मोहब्बत है समंदर की उन लहरों से,
और मेरा महबूब पहाड़ो को दिल दिया बैठा है..!!

बिना वजह इनका जलना मुझपे आम है,
खैर पूछते है जब होता कोई मुझसे काम है,
चिल्लर जैसे बजते आस पास मेरे ये,
इनकी अक्कलों से भी मोटे मुझपे दाम है..!!

बहती हुई वो, रुका हुआ मैं,,
मुक़म्मल सी वो, टूटा हुआ मैं..!!

कोई ठोकर खाके बैठा था, कोई गम में डूबा था,
किसी ने बड़े दर्द सहे थे तो कोई बरबाद हुआ था..!!

वो जुल्फों से दिन में रातें करती है,
उनकी आँखे ताउम्र की वादे करती है,
भरती है आहे हमारी आवाज़ को छूकर,
वो बस मुस्कुरा के बरसा के करती है..!!

कहना शायद मुस्किल होगा, तुझे कितना चाहता हूं,
तुझे आने वाली हिचकियों से माफी चाहता हूं..!!

तेरा काम जलाना सही , मेरा काम बुझाना रहेगा,
तुझमें और मुझमें फर्क है छोटे, वो हमेशा रहेगा..!!

तुम जिद करके बैठे हो मेरा नाम नही लोगो,
फिर यू याद करके हिचकियां क्यू दे रहे हो..!!

कोई कहता है तेरा जाना मुश्किल होगा,
खुदा ने खुशियाँ फैलाने भेजा है,
यकीन करो रोक पाना मुश्किल होगा,
स्टेज से रोका तो सड़कों को स्टेज बना दूंगा..!!

मेरे गम को हसी में दबा बैठा है,
राहतों का दौर अपनी राहों में लुटा बैठा है,
वो क्या ज़लील करेगा मेरी जात को,
जब कि मेरा खुदा मेरे गुनाहे छुपा बैठा है..!!

अब नहीं है हम चिरागों के मोहताज,
उसकी आँखें महफिले रोशन करती हैं,
मै किताबें फिर से अलमारी मे रख आया हूँ,
सुना है वह बा कमाल इन्सान पढ़ती है..!!

हँसा कर चेहरों को खूब रोशन किया है मैंने,
मेरे अंदर के अंधेरे, मुझसे बड़ी शिकायतें करते हैं..!!

आंखों का सुकुन तो, किसी के दिल की ठंडक हो गया,
एहसास न हुआ मुझे, मैं तो पिघलता हुआ बर्फ़ हो गया..!!

तेरा काम जलाना सही , मेरा काम बुझाना रहेगा,
तुझमें और मुझमें फर्क है छोटे, वो हमेशा रहेगा..!!

तेरी मोजूदगी का एहतराम कर भी लूं,
जब होगा रूबरु तो ये ज़ज़बात कहाँ छुपाऊंगा..!!

कितने दिल दुखाओगे बस करो,
ये काला काजल लगाना बस करो,
एकबार अगर देख ली जुल्फे खुली किसी ने,
मर जाएंगे कई सुनो बाल बाँध लो..!!

बादशाहो ने सिखाया कलंदर होना,
तुम आसान समझते हो क्या मुनव्वर होना,
दिन भर हंसती सकल लेकर चलना,
रोते सजदों में और गीले तकियो में सोना..!!

वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का..!!

मेरा ख्वाब जागेगा मेरी नींद भरी आखों में,
आँख लगे तो थाम लेना साथ मेरा..!!

वो राज की तरहा मेरी बातों मे था,
जुगनू जैसे मेरी काली रातों में था,
किस्सा क्या सुनाऊ तुम्हे कल रात का,
सितारों की भीड़ मे, वो चाँद मेरे हाथों में था..!!

कुछ रास्ता लिख देगा कुछ मै लिख दूंगा,
वो लिखते जाए मुश्किल मै मंज़िल लिख दूंगा..!!

वो झूठे वादे करते है..!! मगर मिलने नहीं आते,
हम भी कमबख्त इश्क से बाज नहीं आते..!!

मेरा ज़िक्र बंद करो मैं कोई आयत नहीं हु,
दुनिया फरेबी मैं खुद वफ़ा के लायक नहीं हु बन,
सवाल चलेंगे तो हाथ इनके काँपेगे..!!

बहती हुई है वो में रुका हुआ हूं,
मुकमल सी वो, टूट हुआ में..!!

इतना कुछ मिला है खुदा का लाख सुक्रिया,
अमल कुछ ख़ास नहीं मेरा आखिर फिक्र क्यों करू,
मुझे लगता है उसे पसंद है मेरा टूटना,
मुसिवते भेजता है ताकि मैं उसका ज़िक्र करू..!!

आसान सा कुछ करना होता तो पहाड़ तोड़ लेते,
हमें तो कमबख्त इश्क करना था..!!

मेरे तकिये पीले हैं आंसुओं से,
क्या तुम मुझे अपनी गोद में सुलाओगे..!!

सुना है बाग है तुम्हारे आंगन में,
मेरे ला हासिल बचपन को वो झूला दिखाओगे..!!

मेरी कलम मेरी खुव्वत चाहे मंज़िल लिख दूं,
मेरी हुकूमत में, लहरों पे समंदर लिख दू,
दम इतना मे मस्त रहता खुद ही मे,
खुद की ही पेशानी पे कलंदर लिख दू..!!

खड़ा बुलंदी पे खुदा लाख शुक्र करू,
आमाल खास नहीं तो आखिरत कि फ़िक्र करू,
उसको शायद पसंद है मेरा टूटना,
मुसीबत भेजता है, ताकि उसका जिक्र करू..!!

मेरा ख्वाब जागेगा मेरी नींद भरी आखों में,
आँख लगे तो थाम लेना साथ मेरा..!!

आजाति रोनख मेहफ़िलाओँ में मेरे नाम से ही,
इतना नायाब हूँ, आज दाम कोई लगा नहीं सकता..!!

दर्द तो दुनिया देती रहेगी छोटे,
चल दर्द माई साथ मस्कुरा कर चलते हैं..!!

ताराजू नहीं है इनके पास मेरे सच तोलने के लिए,
उंगली उठा रहे हैं ये जुड़े हुए हैं तोडने के लिए,
जरा बताओ में किस रब्ब का बंदा हूं मैं,
जो एक रास्ता बंद करता है, 100 खोलने के लिए..!!

न कभी देखता आगे क्या मुसीबत है,
मेरे पीछे काफिले है चलते दुआओ के..!!

बता दो बाजार कोइ, जहां मुझे वफा मिले,
यहाँ मै बेचूँ खुशी और गम साला नफा मिले,
मै बेचता नही जमीर खुदा के खौफ से,
वरना सौदा करने वाले तो कई दफा मिले..!!

टूटने पे इनकी ख्वाहिश होती पूरी,
सही कहते हैं, मैं सितारा बन गया हूँ..!!

हर जगह बड़े मायूस से चेहरे नजर आ रहें हैं,
लगता है अब उसने सजना सवरना बंद कर दिया है..!!

दफ़न है मुझमे कितने गम ना पूछो,
बुझ बुझ के जो रोशन रहा वो मुनव्वर हु मै..!!

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