Jaun Elia Shayari

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Jaun Elia Shayari in Hindi

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस,
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं..!!

शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी,
नाज़ से काम क्यों नहीं लेतीं,
आप, वो, जी, मगर, ये सब क्या है,
तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेतीं..!!

दिल तमन्ना से डर गया जनाब,
सारा नशा उतर गया जनाब..!!

अपने सब यार काम कर रहे हैं,
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं..!!

सारे रिश्ते तबाह कर आया,
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया,
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया..!!

कौन इस घर की देख-भाल करे,
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है..!!

इतना तो जानता हुँ के अब तेरी आरज़ू,
बेकार कर रहा हुँ अगर कर रहा हुँ मैं..!!

सब दलीलें तो मुझको याद रही,
बहस क्या थी उसी को भूल गया..!!

गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने,
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने,
तेरा ख़याल तो है, पर तेरा वजूद नहीं,
तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने..!!

मैं तो बस एक नाम था और मुझे हवाओं में,
धूल पे लिख दिया गया और उड़ा दिया गया..!!

रोया हूँ तो अपने दोस्तों में,
पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ..!!

सो गए पेड़ जग उठी खुशबू,
जिंदगी ख्वाब क्यों दिखाती है..!!

यादों का हिसाब रख रहा हूँ,
सीने में अज़ाब रख रहा हूँ,
तुम कुछ कहे जाओ, क्या कहूं मैं,
बस दिल में जवाब रख रहा हूँ..!!

अब हमारा मकान किसका है,
हम तो अपने मकान के थे ही नहीं..!!

बहुत नज़दीक आती जा रही हो,
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या?

कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे,
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे,
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का,
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे..!!

मेरी बाहों में बहकने की सजा भी सुन ले,
अब बहुत देर में आज़ाद करूँगा तुझ को..!!

ये हैं एक जब्र इत्तेफ़ाक नहीं,
जौन होना कोई मज़ाक नहीं..!!

आखिरी बार आह कर ली है,
मैंने खुद से निबाह कर ली है,
अपने सर एक बाला तो लेनी थी,
मैंने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली हैं..!!

महक उठा है आँगन इस ख़बर से,
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से..!!

ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया,
मैं तो उस ज़ख़्म को ही भूल गया..!!

यादों का हिसाब रख रहा हूँ,
सीने में अज़ाब रख रहा हूँ,
तुम कुछ कहे जाओ, क्या कहूं मैं,
बस दिल में जवाब रख रहा हूँ..!!

काम की बात मैंने की ही नहीं,
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं..!!

बोहोत दिल को कुशादा कर लिया क्या,
ज़माने भर से वादा कर लिया क्या,
बोहोत नजदीक आती जा रही हो,
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या..!!

एक हुनर है जो कर गया हूँ मैं,
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं..!!

बेदिली क्या यूंहीं दिन गुज़र जाएंगे,
सिर्फ़ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे..!!

हम जी रहे हैं कोई बहाना किए बग़ैर,
उस के बग़ैर उस की तमन्ना किए बग़ैर..!!

ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं,
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम..!!

उस गली ने ये सुन के सब्र किया,
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं..!!

यूँ जो ताकता है आसमान को तू,
कोई रहता है आसमान में क्या?
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहां में क्या?

दिल-ए-बर्बाद को आबाद किया हैं मैंने,
आज मुद्दत में तुम्हे याद किया है मैंने..!!

कौन इस घर की देखभाल करें,
रोज एक चीज टूट जाती है..!!

यूँ जो ताकता है आसमान को तू,
कोई रहता है आसमान में क्या?
यह मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहां में क्या?..!!

ग़म-ए-फ़ुर्क़त का शिकवा करने वाली,
मेरी मौजूदगी में सो रही है..!!

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे..!!

उस के होंटों पे रख के होंट अपने,
बात ही हम तमाम कर रहे हैं..!!

ये मत भूलो कि ये लम्हात हम को,
बिछड़ने के लिए मिलवा रहे हैं..!!

अब मैं सारे जहाँ में हूँ बदनाम,
अब भी तुम मुझको जानती हो क्या..!!

कितने ऐश उड़ाते होंगे कितने इतराते होंगे,
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे,
यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का,
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे..!!

मेरा एक मशवरा है इल्तेज़ा नहीं,
तू मेरे पास से इस वक़्त जा नहीं..!!

शायद मुझे किसी से मोहब्बत नही हुई,
पर यकीन सबको दिलाता रहा हूँ मैं..!!

अपना खाका लगता हूँ, एक तमाशा लगता हूँ,
अब मैं कोई शख्स नहीं, उसका साया लगता हुँ..!!

एक हुनर हैं जो कर गया हुँ मैं,
सबके दिल से उतर गया हुँ मैं,
क्या बताऊँ की मर नहीं पाता,
जीते जी जब से मर गया हुँ मैं..!!

इलाज यह हैं की मजबूर कर दिया जाऊं,
वर्ना यूं तो किसी की नहीं सुनीं मैंने..!!

नया इक रब्त पैदा क्यूँ करें हम,
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम..!!

महक उठा है आँगन इस ख़बर से,
वो ख़ुशबू लौट आई है सफ़र से

बेदिली क्या यूं ही दिन गुजर जाएंगे,
सिर्फ जिंदा रहे हम तो मर जाएंगे..!!

बात ही कब किसी की मानी है,
अपनी हठ पूरी कर के छोड़ोगी,
ये कलाई ये जिस्म और ये कमर,
तुम सुराही ज़रूर तोड़ोगी..!!

हर शख्स से बे – नियाज़ हो जा,
फिर सब से ये कह की मैं खुदा हूँ..!!

जाइये और खाक उड़ाइये आप,
अब वो घर क्या कि वो गली ही नहीं..!!

आखिरी बार आह कर ली है,
मैंने खुद से निबाह कर ली है,
अपने सर इक बाला तो लेनी थी,
मैंने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली हैं..!!

हमारे ज़ख़्म ए तमन्ना पुराने हो गए हैं,
कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं..!!

गवाई किस तमन्ना में ज़िन्दगी मैंने,
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैंने,
तेरा ख़याल तो है पर तेरा वजूद नहीं,
तेरे लिए ये महफ़िल सजाई मैंने..!!

दिल तमन्ना से डर गया जनाब,
सारा नशा उतर गया जनाब..!!

कैसे कहें कि उस को भी हम से है कोई वास्ता,
उस ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया

ख़ूब है इश्क़ का ये पहलू भी,
मैं भी बर्बाद हो गया तू भी..!!

सारे रिश्ते तबाह कर आया,
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया,
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया..!!

जो गुज़ारी न जा सकी हम से,
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है..!!

सारे रिश्ते तबाह कर आया,
दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया,
मैं रहा उम्र भर जुड़ा खुद से,
याद मैं खुद को उम्र भर आया..!!

बात ही कब किसी की मानी है,
अपनी हठ पूरी कर के छोड़ोगी..!!

सोचूँ तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गई,
देखूँ तो एक शख़्स भी मेरा नहीं हुआ..!!

इक हुनर है जो कर गया हूँ मैं,
सब के दिल से उतर गया हूँ मैं

उस के पहलू से लग के चलते हैं,
हम कहीं टालने से टलते हैं..!!

मुद्दतों बाद इक शख़्स से मिलने के लिए,
आइना देखा गया, बाल सँवारे गए..!!

हम को यारों ने याद भी न रखा,
‘जौन’ यारों के यार थे हम तो..!!

न करो बहस हार जाओगी,
हुस्न इतनी बड़ी दलील नहीं..!!

रंग की अपनी बात है वर्ना,
आख़िरश ख़ून भी तो पानी है..!!

पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें,
ज़मीं का बोझ हल्का क्यूँ करें हम..!!

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