Gulzar Shayari

Gulzar Shayari Thumbnail

Gulzar Shayari in Hindi

हँसता तो मैं रोज़ हूँ,
मगर खुश हुए ज़माना हो गया..!!

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम,
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं..!!

आऊं तो सुबह जाऊं तो मेरा नाम शबा लिखना,
बर्फ पड़े तो बर्फ पे मेरा नाम दुआ लिखना..!!

मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ,
मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है..!!

आइना देख कर तसल्ली हुई,
हमको इस घर में जानता है कोई..!!

अच्छी किताबें और अच्छे लोग,
तुरंत समझ में नहीं आते हैं, उन्हें पढना पड़ता हैं..!!

तू समझता क्यूं नही है, दिल बड़ा गहरा कुआँ है,
आग जलती है हमेशा, हर तरफ धुआँ धुआँ है..!!

थोड़ा सा रफू करके देखिए ना,
फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो है..!!

टकरा के सर को जान न दे दूं तो क्या करूं,
कब तक फ़िराक-ए-यार के सदमे सहा करूं,
मै तो हज़ार चाहूँ की बोलूँ न यार से,
काबू में अपने दिल को न पाऊं तो क्या करूं..!!

बिगड़ैल हैं ये यादे,
देर रात को टहलने निकलती हैं..!!

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आप की कमी सी है,
दफ़्न कर दो हमें के साँस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है..!!

अगर मोहब्बत किसी से बेहिसाब हो जाए¸
तो समझ जाना वह किस्मत में नही..!!

शायर बनना तो बहुत आसान हैं बस,
एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए..!!

ठुकरा दो अगर दे कोई जिल्लत से समंदर,
इज्जत से जो मिल जाए वह कतरा ही बहुत है..!!

वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं..!!

जब भी यह दिल उदास उदास होता है,
जाने कौन आस पास होता है,
कोई वादा नही किया लेकिन,
क्यों तेरा इंतजार होता है..!!

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं,
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता..!!

एक बार तो यूँ होगा थोड़ा सा सुकून होगा,
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा..!!

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं..!!

वह जो सूरत पर सबकी हंसते है,
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए..!!

सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है..!!

उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और,
ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे..!!

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ,
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं..!!

हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक्त की शाख से लम्हे नहीं तोड़ा करते..!!

मैं दिया हूँ, मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं,
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं..!!

लोग कहते है की खुश रहो,
मगर मजाल है की रहने दे..!!

प्यार में अज़ीब ये रिवाज़ है,
रोग भी वही है जो इलाज है..!!

मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए,
तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं जो मैं हूं..!!

वो बेपनाह प्यार करता था मुझे,
गया तो मेरी जान साथ ले गया..!!

बहुत छाले हैं उसके पैरों में,
कमबख्त उसूलों पर चला होगा..!!

फासला बढ़ा लिया तुमने,
मैंने दीवार पक्की कर ली,
जरा सी गलतफहमी ने देखो,
कितनी तरक्की कर ली..!!

बहुत अंदर तक जला देती हैं,
वो शिकायते जो बया नहीं होती..!!

लगता है जिंदगी आज खफा है,
चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफा है..!!

Scroll to Top