Rahat Indori Shayari in Hindi
फूलों की दुकानें खोलो खुशबू का व्यापार करो,
इश्क़ खता है तो ये खता एक बार नहीं सौ बार करो..!!
किसने दस्तक दी है दिल पर कौन है,
आप तो अंदर हैं बाहर कौन है..!!
अब ना मैं हूँ ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे..!!
अपने हाकिम की फकीरी पे तरस आता है,
जो गरीबों से पसीने की कमाई मांगे..!!
जुबां तो खोल नजर तो मिला जवाब तो दे,
मैं कितनी बार लुटा हूँ हिसाब तो दे..!!
तुम ही सनम हो तुम ही खुदा हो,
वफा भी तुम हो तुम तुम ही जफा हो,
सितम करो तो मिसाल कर दो,
करम करो तो कमाल कर दो..!!
विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है..!!
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो..!!
प्यार के उजाले में गम का अँधेरा क्यों है,
जिसको हम चाहे वही रुलाता क्यों है,
मेरे रब्बा अगर वो मेरा नसीब नहीं तो,
ऐसे लोगो से हमे मिलता क्यों है..!!
उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है,
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं..!!
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं..!!
किसने दस्तक दी दिल पे ये कौन है,
आप तो अन्दर हैं बाहर कौन है..!!
ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ,
मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ..!!
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था..!!
मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए वरना,
मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था..!!
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए,
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए..!!
फैसला जो कुछ भी हो हमें मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क हो भरपूर होना चाहिए,
भूलना भी हैं जरुरी याद रखने के लिए,
पास रहना है तो थोडा दूर होना चाहिए..!!
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए,
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है..!!
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे..!!
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है..!!
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते..!!
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो..!!
मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए,
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं..!!
नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से,
ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं..!!
एक चिंगारी नज़र आई थी बस्ती में उसे,
वो अलग हट गया आँधी को इशारा कर के..!!
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है,
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं..!!
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं..!!
मेरी सांसों में समाया भी बहुत लगता है,
और वही शख्स पराया भी बहुत लगता है,
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन,
आने जाने में किराया भी बहुत लगता है..!!
मैं एक गहरी ख़ामोशी हूँ आ झिंझोड़ मुझे,
मेरे हिसार में पत्थर-सा गिर के तोड़ मुझे,
बिखर सके तो बिखर जा मेरी तरह तू भी,
मैं तुझको जितना समेटूँ तू उतना जोड़ मुझे..!!
फैसला जो कुछ भी हो मंज़ूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क़ हो भरपूर होना चाहिए..!!
जहाँ से गुजरो धुआं बिछा दो,
जहाँ भी पहुंचो धमाल कर दो,
तुम्हें सियासत ने हक दिया है,
हरी जमीनों को लाल कर दो..!!
तुम्हें किसी की कहाँ है परवाह,
तुम्हारे वादे का क्या भरोसा,
जो पल की कह दो तो कल बना दो,
जो कल की कह दो तो साल कर दो..!!