Insaniyat Shayari

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Insaniyat Shayari in Hindi

पहले ज़मीं बँटी फिर घर भी बँट गया,
इंसान अपने आप में कितना सिमट गया..!!

प्यार की चाँदनी में खिलते हैं,
दश्त-ए-इंसानियत के फूल हैं हम..!!

हमारी आरजूओं ने हमें इंसान बना डाला,
वर्ना जब जहान में आये थे बन्दे थे खुदा के..!!

न हम अच्छे न तुम अच्छे रहा कोई न अब अच्छा,
मगर अच्छा रहे हम तुम अगर अच्छाइयाँ सीखें..!!

दौलत की चमक ये तेरी बीनाई न लूटे,
गुज़रे जो मुद्दई कोई तो दरगुज़र न हो..!!

आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो,
इक तवज्जोह चाहिए इंसाँ को इंसाँ की तरफ़..!!

मेरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं,
मैं तो आदमी हूँ मेरा ऐतबार मत करना..!!

यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं,
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे..!!

मैंने इंसान के ही हाथो,
इंसानियत को मरते देखा है..!!

फितरत सोच और हालात में फर्क है वरना,
इन्सान कैसा भी हो दिल का बुरा नहीं होता..!!

इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं,
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद..!!

हमारी आरजूओं ने हमें इंसान बना डाला,
वरना जब जहां में आये थे बन्दे थे खुदा के..!!

हम खुदा थे गर न होता दिल में कोई मुद्दा,
आरजूओं ने हमारी हमको बंदा कर दिया..!!

दिल के मंदिरों में कहीं बंदगी नहीं करते,
पत्थर की इमारतों में खुदा ढूंढ़ते हैं लोग..!!

जिन्हें महसूस इंसानों के रंजो-गम नहीं होते,
वो इंसान भी हरगिज पत्थरों से कम नहीं होते..!!

चंद सिक्कों में बिकता है यहाँ इंसान का ज़मीर,
कौन कहता है मेरे मुल्क में महंगाई बहुत है..!!

ढूंढ़ने से तो बशर को खुदा भी मिलता है,
खुदा अगर ढूंढे तो इंसान कहाँ मिलता है..!!

ज़मीर जाग ही जाता है अगर ज़िन्दा हो इक़बाल,
कभी गुनाह से पहले तो कभी गुनाह के बाद..!!

ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़
डरते हैं ऐ ज़मीन तिरे आदमी से हम..!!

क्यो उस नन्ही सी जान को हलाल करके खाता है,
तो इंसान ही है ना क्या तुझे रहम नही आता है..!!

इंसान तो हर घर मे जन्म लेता है बस,
इंसानियत कही कही ही जन्म लेती है..!!

होठो पर मुस्कान रहे,
हर दम तेरा ध्यान रहे,
जिस दिल में इंसानियत,
उस दिल में भगवान रहे..!!

पहले जमीन बंटी फिर घर भी बंट गया,
इंसान अपने आप मे कितना सिमट गया..!!

चीजो की कीमत मिलने से पहले होती है,
इंसानो की कीमत खोने के बाद..!!

उस शिक्षा का कोई भी मतलब नही,
जो तुम्हे इंसानियत ना सिखाती हो..!!

जिंदगी की वैलिडिटी भले ही कम हो पर,
इंसानियत का बैलेस कभी कम नही होना चाहिए..!!

निभाते नही है वह लोग आजकल वरना,
इंसानियत से बड़ा कोई रिश्ता नही..!!

मेहनत के प्रति मन मै अपने श्रद्धा हमेशा बनाए रखना,
जिंदगी मे बस इंसानियत को ही अपना उसूल बनाए रखना..!!

इन्सानियत की रौशनी गुम हो गई कहाँ,
साए तो हैं आदमी के मगर आदमी कहाँ..!!

इंसानियत का पुजारी था मैं,
इंसानों को परख नहीं पाया मैं,
अफसोस तो इसी बात का हैं,
इंसानों को परख नहीं पाया मैं..!!

इंसान की मदद करने इंसान ही आता है,
इंसानियत का अपना एक उसूल होता है..!!

जरा सा बात करने का तरीका सीख लो तुम भी,
उधर तुम बात करते हो इधर दिल टूट जाता है..!!

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