Zindagi Shayari in Hindi
मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही,
पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते..!!
हाथ की लकीरे भी कितनी अजीब है,
कमबख्त मुट्ठी में तो है पर काबू में नही..!!
मुझको उस वैद्य की विद्या पे तरस आता है,
भूखे लोगों को जो सेहत की दवा देता है..!!
यूँ तो ए ज़िन्दगी तेरे सफर से शिकायते बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे तो कतारे बहुत थी..!!
हथेली पर रखकर नसीब अपना,
क्यूँ हर शख्स मुकद्दर ढूँढ़ता है,
अजीब फ़ितरत हैए उस समुन्दर की,
जो टकराने के लिए पत्थर ढूँढ़ता है..!!
ज़िन्दगी एक फूल है तो मोहब्बत उसकी खुशबू,
प्यार एक दरिया है तो महबूब उसका साहिल,
अगर ज़िन्दगी एक दर्द है तो दोस्त उसकी दवा..!!
ले दे के अपने पास फ़क़त एक नजर तो है,
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नजर से हम..!!
मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की,
हवा चली और सब मुकर गये अब तो..!!
ज़िन्दगी लोग जिसे मरहम ए ग़म जानते हैं,
जिस तरह हम ने गुज़ारी है वो हम जानते हैं..!!
मुझे ज़िंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं है दोस्तों,
पर लोग कहते हैं यहाँ सादगी से कटती नहीं..!!
मुझे ज़िन्दगी का इतना तजुर्बा तो नही,
पर सुना है सादगी में लोग जीने नही देते..!!
नफरत सी होने लगी है इस सफ़र से अब,
ज़िंदगी कहीं तो पहुँचा दे खत्म होने से पहले..!!
जीने का हौसला कभी मरने की आरज़ू,
दिन यूँ ही धूप छाँव में अपने भी कट गए..!!
ज़िन्दगी सिर्फ मोहब्बत नहीं कुछ और भी है,
ज़ुल्फ़ ओ रुखसार की जन्नत नहीं कुछ और भी है,
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में,
इश्क ही इक हकीकत नहीं कुछ और भी है..!!
सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते,
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है..!!
फिक्र है सबको खुद को सही साबित करने की,
जैसे ये ज़िंदगीए ज़िंदगी नही कोई इल्जाम है..!!
तंग आ चुके हैं कशमकश ए ज़िंदगी से हम,
ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे दिली से हम,
लो आज हमने छोड़ दिया रिश्ता ए उमीद,
लो अब कभी किसी से गिला ना करेगे हम..!!
शुक्रिया ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया,
कैसे बदलते हैं लोग चंद कागज़ के टुकड़ो ने बता दिया,
अपने परायों की पहचान को आसान बना दिया,
शुक्रिया ऐ ज़िन्दगी जीने का हुनर सिखा दिया..!!
मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको,
ऐ ज़िंदगीए मुझे रोज रोज तमाशा न बनाया कर..!!
कभी आंसू तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी,
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझे,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी..!!
ऐ ज़िन्दगी मुझे कुछ मुश्कुराहते उधार दे दे,
अपने आ रहे है मिलने की रश्म निभानी है..!!
अब तो अपनी तबियत भी जुदा लगती है,
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा लगती है,
कभी राजी तो कभी मुझसे खफा लगती है,
जिंदगी तू ही बता तू मेरी क्या लगती है..!!
ज़िन्दगी तुझसे हर एक साँस पे समझौता करूँ,
शौक़ जीने का है मुझको मगर इतना तो नहीं,
रूह को दर्द मिला दर्द को आँखें न मिली,
तुझको महसूस किया है तुझे देखा तो नहीं..!!
मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको,
ऐ ज़िंदगी मुझे रोज रोज तमाशा न बनाया कर..!!
फुर्सत मिले जब भी तो रंजिशे भुला देना,
कौन जाने साँसों की मोहलतें कहाँ तक हैं..!!
मेरी ज़िन्दगी का मकसद पूछते है लोग,
सुनो बेवजह भी जीते हैं हम जैसे लोग..!!
उनके साथ जीने का एक मौका दे दे ऐ खुदा,
तेरे साथ तो हम मरने के बाद भी रह लेगे..!!
ये सोच कर अपनी हर हँसी बाट दी मेने,
कि किसी ख़ुशी पर मेरा भी नाम हो जाए,
मुख़्तसर सा सफर है मेरा कोन जाने कब,
मेरे इस सफर की आखरी शाम हो जाए..!!
आया ही था खयाल कि आँखें छलक पड़ीं,
आँसू किसी की याद के कितने करीब हैं..!!
सिर्फ सांसे चलते रहने को ही ज़िन्दगी नही कहते,
आँखों में कुछ ख़वाब और दिल में उम्मीदे होना जरूरी है..!!